Ravivar Vrat Ki Katha in Hindi रविवार व्रत कथा Sunday Fast Story Sun God Fast story. Baba Ki Kutiya Rajasthani Lok Katha by Bhagwan Sahai Sen
Ravivar Vrat Ki Katha in Hindi रविवार व्रत कथा Sunday Fast Story Sun God Fast story video duration 8 Minute(s) 18 Second(s), published by Pooja Luthra on 26 10 2014 - 06:28:29.
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रविवार सूर्य देवता की Like Us on Facebookr: http://www.facebook.com/tseriesbhaktisagar Devi Bhajan: Tara Rukman Ki Amar Katha (Aalha Dhun Par) Singer: Sanjo Baghel Album: .
www.isher.tv www.facebook.com/ishertv VIDEO - ISHER TV - 084370-47771 Katha : Baba Ki Kutiya Album : Baba Ki Kutiya Voice : Bhagwan Sahai Sen Category : Rajasthani Lok Kathayein Producer : Amresh Bahadur, Ramit Mathur Katha : Baba Ki Kutiya Album : Baba Ki Kutiya Voice : Bhagwan Sahai Sen Category : Rajasthani Lok Kathayein Producer : Amresh Bahadur, Ramit Mathur .
In this video we present Ravivar Vrat Katha in Hindi, रविवार व्रत कथा, Sunday Fast Story, Sun God Fast Story.
रविवार सूर्य देवता की पूजा का दिन है. रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से व्यक्ति कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. इस उपवास करने वाले व्यक्ति को मान-सम्मान, धन, यश और साथ ही उतम स्वास्थय भी प्राप होता है. रविवार के व्रत को करने से सभी पापों का नाश होता है. तथा स्त्रियों के द्वारा इस व्रत को करने से उनका बांझपन भी दूर करता है. इसके अतिरित्क यह व्रत उपवासक को मोक्ष देने वाला होता है. रविवार व्रत की कथा इस प्रकार से है- प्राचीन काल में किसी नगर में एक बुढ़िया रहती थी। वह प्रत्येक रविवार को सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर आंगन को गोबर से लीपकर स्वच्छ करती थी। उसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद भोजन तैयार कर भगवान को भोग ल¬¬¬¬¬गाकर ही स्वयं भोजन करती थी। भगवान सूर्यदेव की कृपा से उसे किसी प्रकार की चिन्ता व कष्ट नहीं था। धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था।उस बुढ़िया को सुखी होते देख उसकी पड़ोसन उससे बुरी तरह जलने लगी। बुढ़िया ने कोई गाय नहीं पाल रखी थी। अतः रविवार के दिन घर लीपने केलिए वह अपनी पड़ोसन के आंगन में बंधी गाय का गोबर लाती थी। पड़ोसन ने कुछ सोचकर अपनी गाय को घर के भीतर बांध दिया। रविवार को गोबर न मिलने से बुढ़िया अपना आंगन नहीं लीप सकी। आंगन न लीप पाने के कारण उस बुढ़िया ने सूर्य भगवान को भोग नहीं लगाया और उस दिन स्वयं भी भोजन नहीं किया। सूर्यास्त होने पर बुढ़िया भूखी-प्यासी सो गई। इस प्रकार उसने निराहर व्रत किया।
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